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लियो टॉलस्टॉय की रचनाएँ


दो वृद्ध पुरुष


5

दूसरे दिन तारा वाला भूत सुमंत को दुःख देने के वास्ते खेत में पहुंचकर साथियों का ढूंढने लगा, पर किसी का पता न चला। खोजतेखोजते एक छेद तो खेत के कोने में मिला, दूसरा खलिहान में। उसे मालूम हो गया कि दोनों के दोनों यमलोक जा पहुंचे। अब मुझी से इस मूर्ख की बनेगी। देखूं कहां बचकर जाता है।
अतएव वह सुमंत की खोज लगाने लगा। सुमंत उस समय मकान बनाने के वास्ते जंगल में वृक्ष काट रहा था। दोनों भाइयों के आ जाने से घर में आदमियों के लिए जगह न थी। भाई यह चाहते थे कि अलगअलग मकान में रहें, इसलिए मकान बनाना आवश्यक हो गया था।
भूत वृक्ष पर च़कर शाखाओं में बैठ, सुमंत के काम में विघ्न डालने लगा। सुमंतकब टलने वाला था, संध्या होतेहोते उसने कई वृक्ष काट डाले। अंत में उसने उस वृक्ष को भी काट दिया, जिस पर भूत च़ा बैठा था। टहनियां काटते समय भूत उसके हाथ में आ गया।
सुमंत-हैं! तुम फिर आ गए?
भूत-नहींनहीं, मैं तीसरा हूं। पहले दोनों मेरे भाई थे।
सुमंत-कुछ भी हो, अब मैं नहीं छोड़ने का।
भूत-तुम जो कुछ कहोगे, वही करुंगा। कृपा करके मुझे जान से न मारिए।
सुमंत-तुम क्या कर सकते हो?
भूत-मैं वृक्ष के पत्तों से सोना बना सकता हूं।
सुमंत-अच्छा, बनाओ।
भूत ने वृक्ष के सूखे पत्ते लेकर हाथ से मले और मंत्र पॄकर सोना बना दिया। सुमंत ने मंत्र सीख लिया और सोना देखकर परसन्न हुआ।
सुमंत-भाई भूत, इसका रंग तो बड़ा सुन्दर है, बालकों के खिलौने इसके अच्छे बन सकते हैं।
भूत-अब आज्ञा है, जाऊं?
सुमंत-जाओ, परमेश्वर तुम पर अनुगरह करें।
परमेश्वर का नाम सुनते ही यह भूत भी भूमि में समा गया, केवल छेद ही छेद बाकी रह गया।

6
घर बनाकर तीनों भाई सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करने लगे। जन्माष्टमी के त्योहार पर सुमंत ने भाइयों को भोजन करने को नेवता भेजा। उन्होंने उत्तर दिया कि हम गवारों के साथ परीतिभोजन नहीं कर सकते।
सुमंत ने इस पर कुछ बुरा नहीं माना। गांव के स्त्रीपुरुष, बालक और बालिकाओं को एकत्र करके भोजन करने लगा।
भोजन करने के उपरांत सुमंत बोला-क्यों भाई मित्रो, एक तमाशा दिखलाऊं?
सब-हां, दिखालाइए।
सुमंत ने सूखे पत्ते लेकर सोने का एक टोकरा भर दिया और लोगों की ओर फेंकने लगा। किसान लोग सोने के टुकड़े लूटने लगे। आपस में इतना धक्कमधक्का हुआ कि एक बेचारी बुयि कुचल गई।
समंत ने सबको धिक्कार कर कहा-तुम लोगों ने बू़ी माता को क्यों कुचल दिया शांत हो जाओ तो और सोना दूं। यह कहकर टोकरी का सब सोना लुटा दिया। फिर सुमंत ने स्त्रियों से कहा कि कुछ गाओ। स्त्रियां गाने लगीं।
सुमंत-हूं, तुम्हें गाना नहीं आता।
स्त्रियां-हमें तो ऐसा ही आता है, और अच्छा सुनना हो तो किसी और को बुला लो।
सुमंत ने तुरंत ही भूसे के सिपाही बनाकर पलटन खड़ी कर दी, बैंड बजने लगा। गंवार लोगों को बड़ा ही अचम्भा हुआ। सिपाही बड़ी देर तक गाते रहे, तब सुमंत ने उनको फिर भूसा बना दिया और सब लोग अपनेअपने घर चले गए।

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